
Airplane Takeoff Run: जब भी कोई हवाई जहाज उड़ान भरता है, तो उससे पहले वह रनवे पर तेज रफ्तार से दौड़ता है। इस प्रक्रिया को “टेक-ऑफ” कहा जाता है। टेक-ऑफ किसी भी उड़ान का सबसे महत्वपूर्ण और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण हिस्सा होता है। यह सिर्फ एक रफ्तार नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग पहलू होते हैं।
टेक-ऑफ के लिए कितनी दूरी की जरूरत होती है?
हर विमान को उड़ान भरने के लिए एक खास दूरी तक रनवे पर दौड़ना (Airplane Takeoff Run) होता है। आमतौर पर यह दूरी 2 से 3 किलोमीटर यानी 2000 से 3000 मीटर तक हो सकती है। यह दूरी कई चीज़ों पर निर्भर करती है जैसे कि विमान का वजन, रनवे की ऊंचाई, मौसम की स्थिति और हवा की दिशा।
टेक-ऑफ स्पीड कितनी होती है?
टेक-ऑफ स्पीड भी विमान के आकार और प्रकार के हिसाब से अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, एक बोइंग 737 जैसे मध्यम आकार के विमान को उड़ान (Airplane Takeoff Run) के लिए करीब 240 से 290 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड की जरूरत होती है। वहीं एयरबस A380 जैसे भारी विमान को करीब 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार चाहिए होती है।
बड़े और छोटे विमानों में फर्क
छोटे प्राइवेट जेट या हल्के विमान कम दूरी और कम रफ्तार में टेक-ऑफ कर सकते हैं। लेकिन बड़े कमर्शियल एयरक्राफ्ट को लंबी दौड़ और ज्यादा स्पीड चाहिए होती है ताकि वो हवा में सही ढंग से उठ सके।
रनवे की लंबाई क्यों होती है अहम?
रनवे की लंबाई सिर्फ उड़ान भरने के लिए नहीं, बल्कि किसी इमरजेंसी ब्रेकिंग की स्थिति में विमान को रोकने के लिए भी होती है। अगर टेक-ऑफ के समय मौसम खराब हो या तकनीकी दिक्कत आ जाए, तो लंबा रनवे विमान को सुरक्षित रूप से रोकने में मदद करता है।
2 से 3 किलोमीटर तक
हर विमान को टेक-ऑफ से पहले एक तय दूरी और स्पीड तक पहुंचना जरूरी होता है। यह दूरी विमान के आकार, वजन और मौसम के हिसाब से तय होती है, लेकिन औसतन देखा जाए तो हर विमान को 2 से 3 किलोमीटर तक दौड़ना ही पड़ता है। यही कारण है कि टेक-ऑफ की प्रक्रिया को सबसे संवेदनशील और अहम माना जाता है।