
Science News: वैज्ञानिक आए दिन अंतरिक्ष में नए-नए खोजों को अंजाम दे रहे हैं. कुछ साल पहले मंगल ग्रह की सतह पर काली धारियों जैसी दिखने वाली चीजों की खोज की गई थी जिसको लेकर वैज्ञानिकों में बेहद उत्साह था. इसको लेकर एक्सपर्ट का कहना था की धारियां ढलानों पर दिखती थी और मौसम के साथ बदलती थी. ऐसे में अंतरिक्ष विज्ञानी ये कयास लगा रहे थे की ये पानी के बहाव के निशान हो सकते हैं, जिसके कारण इन्हें Recurring Slope Lineae (RSL) का नाम दिया गया. अनुमान लगाया गया था की शायद ये ब्राइनी पानी (खारा तरल) या पिघलती बर्फ के संकेत हैं, एक नए रिसर्च ने सारे दावों को झूठला दिया है.
नए रिसर्च में खुलासा
हाल ही में Nature Communications नाम के जर्नस में छपे एक रिसर्च में वैलेंटिन बिकल और एडोमस वलांटिनास नाम के दो वैज्ञानिकों ने ये साफ किया है की मंगल के सतह पर दिखने वाली ये धारियां पानी का निशान नहीं बल्कि ये सूखी हुई है. ऐसे में पानी को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे उनपर अभी विराम लग गया है.
वैज्ञानिकों के सपनों पर फिरा पानी
ये वो धारियां थी जो मंगल के सतह पर गर्मियों में दिखती थी और सर्दी के मौसम में गायब हो जाती थी. कुछ वैज्ञानिकों को लगा कि ये निशान पानी के बहाव का सबूत हो सकते हैं. तब यह सवाल उठे कि क्या मंगल की सतह के नीचे कहीं पानी छिपा है? क्या वहां जीवन संभव है? अगर ये निशान सच में पानी से बने होते, तो इसका मतलब होता कि मंगल पर आज भी पानी का चक्र चल रहा है। इससे वहां की नमी और जीवन की संभावना के बारे में नई बातें पता चल सकती थीं.
पानी से कोई लेना देना नहीं
लेकिन इससे जुड़ी नई रिसर्च ने वैज्ञानिकों सारे सपनों पर पानी फेर दिया है. इस शोध में 5 लाख स्लोप स्ट्रीक्स की मैपिंग और तुलना किया गया. मुख्य शोधकर्ता एडोमस वलांटिनास के मुताबिक, “हमारी स्टडी में पाया गया कि इन काली धारियों का पानी से कोई लेना-देना नहीं है. हमारा मॉडल साफ दिखाता है कि ये सूखी प्रक्रियाओं से बनी हैं.” इसका मतलब साफ है कि मंगल आज भी सूखा और रेगिस्तानी ग्रह है। इन धारियों में न तो जीवन की उम्मीद है और न ही पानी जमा होने की संभावना